बिखरी पड़ी हे उसकी यादे इधर-उधर .
                                    
                            बिखरी पड़ी हे उसकी यादे इधर-उधर 
अब तक कोई ठिकाना न  मिला
खुद को समझाया बहुत मगर 
उसे भुलाने का कोई बहाना न  मिला
                                 गोविन्द कुंवर
