ख्वाइशो को धीरे-धीरे कम कर दे
                                    
                            तू ख्वाइशो को धीरे-धीरे कम कर दे
कब होती है पूरी ये हसरतें ऐसा कर
तू हसरतों को ही धीरे-धीरे कम कर दे
बनाया है रब ने तुझे सबसे अलग
फिर दूसरे जैसा बनना बंद कर दे
न वो रास्ते न उनके आने की उम्मीद
ऐसा कर कुछ उमीदों को ही दफन कर दे
गुजारिश है तुझसे एक काम तू सनम कर दे
तू याद कर और यादों को धीरे-धीरे कम कर दे
                              गोविन्द कुंवर
