होंठो पे होंठ रख दिया था
                                    
                            मैंने जमीं मांगी तो उसने आसमान रख दिया था
एक नहीं मेरे हाथों में दोनों जहान रख दिया था
वो नए साल का जन्मदिन कैसे भूल पाउँगा मै
जब गिफ्ट में उसने मेरे होंठो पे होंठ रख दिया था
                                            गोविन्द कुंवर
