बहुत नाज हैं
                                    
                            आसमां के नादान तारों को बहुत नाज हैं अपनी चमक देखकर
बताऊ किस जमीं से आया हूँ, सब बुझ जाओगे मेरा सफर देखकर
सुबह-सुबह मिले तो मालूम हुआ ये तो सब मेकअप का कमाल है
"गोविन्द" तुम  तो नाहक ही चौधिंया जाते थे उसकी चमक देखकर
                                                                    गोविन्द कुंवर
